बीवी से झगड़ा हुआ तो 30 साल पुराने दोस्तों से मिलने कानपुर आया डॉ. बम और धरा गया

बीवी से झगड़ा हुआ तो 30 साल पुराने दोस्तों से मिलने कानपुर आया डॉ. बम और धरा गया



कानपुर



सीरियल बम धमाकों के दोषी जलीस अंसारी उर्फ डॉ. बम को कानपुर से गिरफ्तार कर लिया गया है। मुंबई से कानपुर पहुंचा जलीस परोल खत्म होने के एक दिन पहले ही फरार हो गया था। बता दें कि वह धमाकों के मामले में दोषी पाए जाने के बाद उम्रकैद की सजा काट रहा है। फिलहाल वह परोल पर बाहर आया था। एसटीएफ की कानपुर यूनिट के एक अधिकारी ने बताया कि जलीस नमाज पढ़ने के बहाने फरार हो गया था।
स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की कानपुर यूनिट के सब इन्स्पेक्टर घनश्याम यादव ने बताया, 'आतंकी जलीस अंसारी मुंबई से पुष्पक एक्सप्रेस ट्रेन से चला था और कानपुर में उतर गया। कानपुर में फेथफुलगंज में ऊंची मस्जिद है, जहां पर जाकर उसने वहां के केयरटेकर अपना सामान और बैग रख दिया और अगल-बगल टहलने लगा।'
1993 धमाके का दोषी 'डॉ. बम' कानपुर से अरेस्ट
कानपुर में 30 साल पुराने दोस्तों से मिलने आया था जलीस अंसारी

पूछताछ में जलीस ने बताया कि वह 26 साल बाद परोल पर छूटकर आया है। जलीस ने आगे बताया कि पत्नी और बच्चों से अकसर उसके झगड़े होते रहते थे, जिससे वह परेशान हो गया था और घर छोड़ कर निकल गया। उसने बताया कि उसके 30 साल पुराने दोस्त फेथफुलगंज में थे। उसके दोस्त का नाम अब्दुल रहमान और अब्दुल कयूम था, जिनसे 30 वर्ष पुरानी दोस्ती थी। यहां आकर पता चला कि अब्दुल रहमान की दुर्घटना में मृत्यु हो गई और अब्दुल कयूम यहां शहर में नहीं है।
यह सब जानकर जलीस ऊंची मस्जिद पहुंचा और अपना सामान वहीं रख दिया। मस्जिद में उसने नमाज पढ़ी और उसके बाद अगल-बगल के लोगों से बातचीत करने लगा। उसने एक स्थानीय आदमी के छोटे बच्चे (लगभग पांच साल उम्र का बच्चा) की उंगली पकड़ ली और चलने लगा। साथ में वह व्यक्ति भी चलने लगा ताकि लगे कि जलीस लोकल आदमी है। जलीस बच्चे और उसके अभिभावक के साथ रेलवे स्टेशन तक गया। रेलवे स्टेशन के बाहर वह व्यक्ति और उसका बच्चा जलीस को छोड़कर चले गए।
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'जेल से ऊब गया था इसलिए हाजिर नहीं हुआ'
इसके बाद जलीस रेलवे इंक्वॉयरी में गया और पूछताछ करके निकला। तब उससे पूछताछ की गई तो उसने कबूल किया कि यह वही आतंकवादी है और परोल तोड़ कर फरार हुआ है। जलीस ने यह भी बताया कि जेल से ऊब गया था इसलिए हाजिर नहीं हो रहा था। जलीस अंसारी को राजस्थान की अजमेर सेंट्रल जेल से 21 दिनों के परोल पर रिहा किया गया था। उसे शुक्रवार को आत्मसमर्पण करना था। एक अधिकारी ने बताया कि परोल के दौरान अंसारी को रोज सुबह 10:30 बजे से 12 बजे के बीच अग्रीपाडा थाने आकर हाजिरी लगाने को कहा गया था लेकिन वह गुरुवार को निर्धारित समय पर नहीं पहुंचा। दोपहर को अंसारी का 35 वर्षीय बेटा जैद अंसारी पुलिस थाने पहुंचा और पिता के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। वह घरवालों से नमाज पढ़ने की बात कहकर निकला लेकिन वापस नहीं लौटा।
जलीस अंसारी यूं बन गया 'डॉ. बम'

अंसारी के ऊपर आरोप है कि देशभर में 50 से ज्यादा बम धमाकों में उसकी भूमिका थी। इसलिए उसे डॉ. बम कहा जाने लगा। उसे सबसे पहले 1994 में सीबीआई ने राजधानी एक्सप्रेस में बम लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह पुणे के ब्लास्ट में भी आरोपी है। आरोप है कि यहां 1992 में बाबरी मस्जिद कांड के बाद उसने अपने साथियों के साथ मिलकर बम लगाए थे। सबसे ताजा फैसले में गिरणा नदी में बम धमाके का एक्सपेरिमेंट करने के अपराध में उसे मालेगांव के एक कोर्ट ने 2018 में 10 साल जेल की सजा सुनाई थी।





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