
कोटा में 100 बच्चों की मौत, आखिर क्यों मर रहे हैं नवजात ?
शुक्रवार, 3 जनवरी 2020
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राजस्थान के कोटा के एक अस्पताल में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इन मौतों के बाद राज्य सरकार कठघरे में आ गई है। विपक्षी बीजेपी अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साध रही है। वहीं, सीएम इस मसले पर सियासत नहीं करने की अपील कर रहे हकोटा/नई दिल्ली
राजस्थान के कोटा में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद राज्य की अशोक गहलोत सरकार चौतरफा विरोध का सामना कर रही है। विपक्षी बीजेपी राज्य सरकार पर निशाना साध रही है। दूसरी तरफ सीएम गहलोत इस मुद्दे पर सियासत नहीं करने की अपील कर रहे हैं। इन सबके बीच यह सवाल अहम है कि आखिर इतने बच्चों की मौत आखिर हो क्यों रही है? बच्चों की मौत के पीछे कौन से कारण जिम्मेदार है?
आखिर क्यों हो रही है बच्चों की मौतें?जेके लोन अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट डॉ. सुरेश दुलारा ने बताया कि सभी बच्चों की मौत कम वजन के चलते हुई। वहीं, कुछ अन्य रिपोर्ट की माने तो बच्चों की कई अलग-अलग वजहों के कारण मौत हुई है। बच्चों की मौत का कारण निमोनिया, सेप्टिसिमिया, सांस की तकलीफ जैसी वजहें हैं।
अस्पताल के खिड़की, दरवाजे तक टूटे!
नैशनल कमिशन फॉर प्रॉटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ( NCPCR) ने अस्पताल का दौरा के दौरान यह पाया गया कि अस्पताल की खिड़कियों में शीशे नहीं हैं और दरवाजे टूटे हुए हैं जिसके कारण बच्चों को ठंड लग गई। अपने दौरे में NCPCR ने यह भी पाया अस्पताल का रखरखाव भी सही नहीं है। बता दें कि इससे पहले NCPCR ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। NCPCR के चैयरमैन प्रियांक कानूनगो ने कहा, 'अस्पताल परिसर में सुअर घूम रहे थे। स्टाफ की काफी कमी थी।'
अस्पताल का दावा, मौतों में कमी
अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट ने दावा किया कि 2018 की तुलना में 2019 में नवजातों की मौत में कमी आई है और यह पिछले 6 साल में सबसे कम है। अस्पताल प्रशासन ने कहा कि मेडिकल उपकरणों के रखरखाव को बेहतर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार का दावा, बच्चों को दिया गया सही इलाज
उधर, राज्य सरकार द्वारा गठित कमिटी ने दावा किया है कि नवजातों को सही उपचार दिया गया था। राज्य से सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि किसी को भी इसपर सियासत नहीं करनी चाहिए। उन्होंने अपने काम गिनाते हुए कहा कि कोटा के इस अस्पताल में शिशु मृत्यु दर लगातार कम हो रही है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने बताया कि मरने वालों में ज्यादातर नवजात बच्चे काफी गंभीर अवस्था में अस्पताल लाए गए थे। ये आसपास के जिलों और पड़ोसी मध्य प्रदेश से लाए गए थे।
नैशनल कमिशन फॉर प्रॉटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ( NCPCR) ने अस्पताल का दौरा के दौरान यह पाया गया कि अस्पताल की खिड़कियों में शीशे नहीं हैं और दरवाजे टूटे हुए हैं जिसके कारण बच्चों को ठंड लग गई। अपने दौरे में NCPCR ने यह भी पाया अस्पताल का रखरखाव भी सही नहीं है। बता दें कि इससे पहले NCPCR ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। NCPCR के चैयरमैन प्रियांक कानूनगो ने कहा, 'अस्पताल परिसर में सुअर घूम रहे थे। स्टाफ की काफी कमी थी।'
अस्पताल का दावा, मौतों में कमी
अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट ने दावा किया कि 2018 की तुलना में 2019 में नवजातों की मौत में कमी आई है और यह पिछले 6 साल में सबसे कम है। अस्पताल प्रशासन ने कहा कि मेडिकल उपकरणों के रखरखाव को बेहतर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार का दावा, बच्चों को दिया गया सही इलाज
उधर, राज्य सरकार द्वारा गठित कमिटी ने दावा किया है कि नवजातों को सही उपचार दिया गया था। राज्य से सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि किसी को भी इसपर सियासत नहीं करनी चाहिए। उन्होंने अपने काम गिनाते हुए कहा कि कोटा के इस अस्पताल में शिशु मृत्यु दर लगातार कम हो रही है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने बताया कि मरने वालों में ज्यादातर नवजात बच्चे काफी गंभीर अवस्था में अस्पताल लाए गए थे। ये आसपास के जिलों और पड़ोसी मध्य प्रदेश से लाए गए थे।