
महिलाओं में लगातार यौन उत्तेजना बने रहने की वजह आई सामने
रविवार, 19 जनवरी 2020
Edit
क्या है PGAD
पीजीएडी ऐसी समस्या है जो सिर्फ महिलाओं में होती है। इससे पीड़ित महिलाओं को सेक्शुअल एक्साइटमेंट नहीं होने पर भी प्राइवेट पार्ट में लगातार यौन उत्तेजना का अनुभव होता रहता है। यह फीलिंग सेक्स या मॉस्टरबेशन से ऑर्गेज्म हो जाने के बाद भी बनी रहती है। इस स्थिति में महिलाओं को स्ट्रेस, डिप्रेशन, शरीर में दर्द रहने, बैठने या उठने जैसी सामान्य शारीरिक क्रिया में भी परेशानी होने लगती है। यह उनके सामान्य जीवन या रिलेशनशिप को जीने में भी बाधा बनता है।
यूं हुई स्टडी
Massachusetts General Hospital के जरिए पर्सिस्टेंट जेनिटल अराउजल डिसऑर्डर पर की गई स्टडी में ऐसी महिलाओं पर रिसर्च की गई जिनमें 11 से 70 साल की उम्र के बीच इस बीमारी के लक्षण दिखना शुरू हुए। इनमें से ज्यादातर महिलाओं ने यह बात मानी कि उन्हें हर दिन एक मिनट से लेकर चार घंटे तक इस तरह के अराउजल फील होते हैं।
स्टडी में यह आया सामने
स्टडी में सामने आया कि पीजीएडी की समस्या महिलाओं के यौन अंग से दिमाग तक संकेत पहुंचाने वाली नर्व्स में आई परेशानी या फिर रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले भाग में किसी वजह से हुए नुकसान के कारण होती है। स्टडी में यह भी सामने आया कि इस समस्या से जूझ रही महिलाओं ने जब मनोवैज्ञानिक या गाइनोलॉजिकल ट्रीटमेंट लिए तो उन्हें अपनी कंडीशन में ज्यादा अंतर महसूस नहीं हुआ। यहां तक कि लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन भी उन्हें थोड़ी देर की ही राहत दे सका। वहीं न्यूरोलॉजिकल इलाज 80 प्रतिशत मरीजों में कारगार साबित हुआ।
लीड रिसर्चर ब्रूस प्राइस ने कहा कि, 'लोगों को इस मेडिकल कंडीशन के बारे में जानना जरूरी है। उन्हें यह पता होना चाहिए कि यह मनोवैज्ञानिक नहीं बल्कि न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम है।' उन्होंने आगे कहा, 'इससे जूझ रही कई महिलाएं अपनी परेशानी के बारे में किसी को नहीं बताती हैं। उन मरीजों के लिए भी इस बीमारी को समझना मुश्किल हो जाता है जो ऐसे डॉक्टर के पास जाएं जिन्हें पीजीएडी या इसके लक्षणों के बारे जानकारी ही न हो।'
स्टडी की एक और ऑर्थर ऐनी लुइस ओकलैंडर ने इस बात पर जोर दिया कि डॉक्टरों को भी इस बीमारी के बारे में और जानकारी अर्जित करने की जरूरत है। 'फिजिशियन्स को भी पीजीएडी के बारे में जागरूक होने के जरूरत है। उनके पास जब कोई महिला पेल्विक पेन या युरोलॉजी की समस्या से जुड़े ऐसे लक्षण लेकर जाए जो पर्सिस्टेंट सेक्शुअल अराउजल डिसऑर्डर की ओर इशारा करें तो डॉक्टर को उनसे इस बारे में और जानकारी लेना चाहिए ताकि सही इलाज दिया जा सके।'
पीजीएडी ऐसी समस्या है जो सिर्फ महिलाओं में होती है। इससे पीड़ित महिलाओं को सेक्शुअल एक्साइटमेंट नहीं होने पर भी प्राइवेट पार्ट में लगातार यौन उत्तेजना का अनुभव होता रहता है। यह फीलिंग सेक्स या मॉस्टरबेशन से ऑर्गेज्म हो जाने के बाद भी बनी रहती है। इस स्थिति में महिलाओं को स्ट्रेस, डिप्रेशन, शरीर में दर्द रहने, बैठने या उठने जैसी सामान्य शारीरिक क्रिया में भी परेशानी होने लगती है। यह उनके सामान्य जीवन या रिलेशनशिप को जीने में भी बाधा बनता है।
यूं हुई स्टडी
Massachusetts General Hospital के जरिए पर्सिस्टेंट जेनिटल अराउजल डिसऑर्डर पर की गई स्टडी में ऐसी महिलाओं पर रिसर्च की गई जिनमें 11 से 70 साल की उम्र के बीच इस बीमारी के लक्षण दिखना शुरू हुए। इनमें से ज्यादातर महिलाओं ने यह बात मानी कि उन्हें हर दिन एक मिनट से लेकर चार घंटे तक इस तरह के अराउजल फील होते हैं।
स्टडी में यह आया सामने
स्टडी में सामने आया कि पीजीएडी की समस्या महिलाओं के यौन अंग से दिमाग तक संकेत पहुंचाने वाली नर्व्स में आई परेशानी या फिर रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले भाग में किसी वजह से हुए नुकसान के कारण होती है। स्टडी में यह भी सामने आया कि इस समस्या से जूझ रही महिलाओं ने जब मनोवैज्ञानिक या गाइनोलॉजिकल ट्रीटमेंट लिए तो उन्हें अपनी कंडीशन में ज्यादा अंतर महसूस नहीं हुआ। यहां तक कि लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन भी उन्हें थोड़ी देर की ही राहत दे सका। वहीं न्यूरोलॉजिकल इलाज 80 प्रतिशत मरीजों में कारगार साबित हुआ।
लीड रिसर्चर ब्रूस प्राइस ने कहा कि, 'लोगों को इस मेडिकल कंडीशन के बारे में जानना जरूरी है। उन्हें यह पता होना चाहिए कि यह मनोवैज्ञानिक नहीं बल्कि न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम है।' उन्होंने आगे कहा, 'इससे जूझ रही कई महिलाएं अपनी परेशानी के बारे में किसी को नहीं बताती हैं। उन मरीजों के लिए भी इस बीमारी को समझना मुश्किल हो जाता है जो ऐसे डॉक्टर के पास जाएं जिन्हें पीजीएडी या इसके लक्षणों के बारे जानकारी ही न हो।'
स्टडी की एक और ऑर्थर ऐनी लुइस ओकलैंडर ने इस बात पर जोर दिया कि डॉक्टरों को भी इस बीमारी के बारे में और जानकारी अर्जित करने की जरूरत है। 'फिजिशियन्स को भी पीजीएडी के बारे में जागरूक होने के जरूरत है। उनके पास जब कोई महिला पेल्विक पेन या युरोलॉजी की समस्या से जुड़े ऐसे लक्षण लेकर जाए जो पर्सिस्टेंट सेक्शुअल अराउजल डिसऑर्डर की ओर इशारा करें तो डॉक्टर को उनसे इस बारे में और जानकारी लेना चाहिए ताकि सही इलाज दिया जा सके।'