भारत में मई तक सामने आ सकते हैं कोरोना वायरस के 13 लाख केस, रिसर्चर्स ने जताई आशंका

भारत में मई तक सामने आ सकते हैं कोरोना वायरस के 13 लाख केस, रिसर्चर्स ने जताई आशंका



 

नई दिल्ली
कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर के देशों में देखने को मिल रहा है। भारत भी इस जानलेवा वायरस के संक्रमण की चपेट में है। अब तक कोरोना के 562 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं, वहीं इस महामारी से अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार की ओर से कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया है। बावजूद इसके जिस तरह से कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं ऐसे में वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम की रिपोर्ट ने आशंका जताई गई है कि मई के दूसरे हफ्ते तक भारत में 13 लाख कोरोना के मामले आ सकते हैं।
मई के मध्य तक सामने आ सकते हैं 13 लाख केस: रिपोर्ट
भारत में कोरोना के मामलों की स्टडी करने वाले COV-IND-19 स्टडी ग्रुप के रिसर्चर्स ने मौजूदा आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद जारी रिपोर्ट में ये आशंका जताई है। शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने शुरुआती दौर में कोरोना के मामलों को नियंत्रित करने में इटली और अमेरिका जैसे दूसरे देशों की अपेक्षा अच्छा काम किया है। हालांकि, हमारा ये अनुमान भारत में शुरुआती चरण के आंकड़ों के आधार पर है। इसमें एक खास बात ये है कि देश में प्रभावित मामलों की असली संख्या स्पष्ट नहीं है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में इसको लेकरटेस्टिंग रेट बेहद कम हैं।
कोरोना: 21 दिन का ही लॉकडाउन क्यों, समझें वजहप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के चलते 21 दिन के ही लॉकडाउन की घोषणा क्यों की? क्या इससे कम दिनों का लॉकडाउन नहीं किया जा सकता था। 21 दिन ही क्यों? 7 दिन, 10 दिन या 14 दिन क्यों नहीं। समझिए इस विडियो रिपोर्ट में।

वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम की रिपोर्ट में आशंका
रिपोर्ट में रिसर्चर्स ने बताया है कि अब तक, भारत में कोरोना टेस्ट किए गए लोगों की संख्या अपेक्षाकृत कम रहा है। व्यापक टेस्ट नहीं होने से कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की भयावहता को निर्धारित करना असंभव है। दूसरे शब्दों में कहें तो टेस्ट की दरें कम होने की वजह से अभी ये अनुमान लगाना बेहद कठिन है कि अस्पताल और हेल्थकेयर सुविधाओं से अलग कितने लोग इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हैं। कोरोना से संक्रमित मामलों की पुष्टि इसके टेस्ट से ही स्पष्ट होता है।
टेस्टिंग रेट को लेकर उठाए हैं सवाल
रिपोर्ट में रिसर्चर्स ने कहा है कि हमारे मौजूदा अनुमान भारत में शुरुआती चरण के आंकड़ों के आधार पर सबसे कम आंक रहे हैं। अमेरिका और इटली जैसे दूसरे देशों में भी शुरुआती दौर में ऐसा ही पैटर्न देखा गया था हालांकि बाद में वहां COVID-19 धीरे-धीर फैलते हुए बहुत तेज हो गया। इन देशों में सामने आए आंकड़े इसके गवाह हैं कि इस वायरस ने वहां कितना लोगों को अपनी चपेट में लिया। कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में अबतक 18,915 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 4,22,900 लोग संक्रमित हैं।
रिसर्चर्स ने रिपोर्ट में कहा, 'भारत के लिए यह जरूरी है कि वह देश में कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से फैलने से पहले बेहद कड़े उपायों को अपनाए।' वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में 16 मार्च तक भारत में दर्ज मामलों से जुड़े आंकड़ों का इस्तेमाल किया। वैज्ञानिकों में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, नयी दिल्ली और मिशिगन विश्वविद्यालय, अमेरिका के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। उन्होंने विश्व बैंक के डेटा का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में प्रति 1000 व्यक्ति बेड की संख्या सिर्फ 0.7 है, जबकि फ्रांस में यह 6.5, दक्षिण कोरिया में 11.5, चीन में 4.2, इटली में 3.4 और अमेरिका में 2.8 है।


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