
चीन की हर हवाई चाल पर ये दो सिपाही रखते हैं पैनी नजर, इनसे बचकर जाना मुश्किल
मंगलवार, 12 मई 2020
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अब ऐसे पकड़ में आ जाती है चीन की चाल
चीनी सेना के हेलिकॉप्टर्स कई बार भारतीय एयरस्पेस में घुस चुके हैं। वे जानबूझकर ऐसे निशान छोड़ते हैं जिससे भारत के इलाके पर दावा ठोंक सकें। LAC के अलावा भारत-चीन सीमा के कई हिस्से ऐसे हैं जहां कोई निश्चित बॉर्डर नहीं है। मगर अब चीन की हवा में किसी भी हरकत का पता हमारे रेडार लगा लेते हैं। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने दो लोल लेवल लाइटवेट रेडार बनाए हैं। इन्हें बॉर्डर के पास तैनात किया गया है ताकि निगरानी रखी जा सके। इन रेडार्स के नाम 'भरणी' और 'अश्लेषा' हैं। Bharani जहां 2D रडार हैं वहीं, Aslesha 3D है।
खास पहाड़ों के लिए बना है 'भरणी'
दोनों रेडार के नाम भारतीय नक्षत्रों के नाम पर रखे गए हैं। 'भरणी' को खासतौर से पहाड़ी इलाकों में UAVs, RPVs, हेलिकॉप्टर्स और फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट ट्रेस करने के लिए बनाया गया है। यह एयर डिफेंस वेपन सिस्टम्स को पहले से वॉर्निंग दे देता है। 2डी कम स्तरीय हल्का वजनी रडार (एलएलएलआर) एक हल्का वजनी बैटरी चालित कॉम्पैक्ट सेंसर है जो कम और मध्यम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले यूएवी, आरपीवी, हेलीकॉप्टर और फिक्स्ड विंग विमान जैसे शत्रुतापूर्ण हवाई लक्ष्यों के खिलाफ पहाड़ी इलाकों में 2डी निगरानी प्रदान करता है। यह कमजोर क्षेत्रों या कमजोर बिंदुओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए नियोजित वायु रक्षा हथियार प्रणालियों के लिए शुरुआती चेतावनी के रूप में कार्य करता है।
'अश्लेषा' है ऑलराउंडर
इसी महीने भिड़े हैं दोनों देशों के सैनिक
5 मई को पांगोंग झील के उत्तरी तट पर भारत और चीन के सैनिक भिड़ गए थे। हाथापाई के साथ-साथ पत्थरबाजी भी हुई। दोनों तरफ के जवान घायल हुए। वहीं, शनिवार को सिक्किम से सटे बॉर्डर पर नाकू ला पास के नजदीक भारत-चीन के करीब 150 सैनिकों में झड़प हुई। दोनों ओर के करीब 10 सैनिकों के घायल होने की जानकारी है। पांगोंग में आखिरी बार अगस्त 2017 में सैनिक आमने-सामने आए थे।
भारत-चीन सीमा पर दशकों से एक भी गोली क्यों नहीं चली?India-China Border Face Off: भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव आम है। दोनों देशों के सैनिकों में हाथापाई की खबरें अक्सर आती रहती हैं। कभी-कभी पत्थरबाजी भी हो जाती है। लेकिन पिछले 4 दशकों से कभी भी गोलीबारी जैसी घटना नहीं हुई है। जानिए इसकी वजह।
डोकलाम ने दी थी सबसे बड़ी टेंशन
भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर तनातनी नई नहीं है। 2017 में डोकलाम में दोनों सेनाएं 73 दिनों तक अड़ी रही थीं। डर इस बात का था कि कहीं युद्ध शुरू ना हो जाए। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी LAC है। दोनों देश शांति बनाए रखने की बात करते हैं। मगर चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताकर उसपर कब्जा चाहता है। सिक्किम में भी कई जगह उसने भारतीय जमीन कब्जाने की कोशिश की है। लद्दाख में भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है।